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नवदुर्गा की 9 दिव्य कथाएँ: हर माँ के स्वरूप की पूर्ण गाथा, मंत्र और चमत्कारी सिद्धियाँ! 🕉️🌸

🌸 1. माँ शैलपुत्री: पर्वतराज की पुत्री और सती का पुनर्जन्म 🏔️

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Credit: shrijagannathmandirdelhi

कथा:

माँ शैलपुत्री का जन्म सती के रूप में हुआ था। एक बार सती के पिता प्रजापति दक्ष ने यज्ञ किया, जिसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन भगवान शिव को नहीं। सती बिना शिव की आज्ञा लिए यज्ञ में पहुँच गईं। वहाँ दक्ष ने शिव का अपमान किया, जिससे आहत होकर सती ने योगाग्नि से स्वयं को भस्म कर लिया। इसके बाद शिव के गण वीरभद्र ने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया। सती ने अगले जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री नाम पाया। शिव से विवाह के बाद वे पार्वती बनीं।

मंत्र:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

महत्व:

  • ये नवदुर्गा की प्रथम शक्ति हैं।

  • इनकी पूजा से मानसिक शक्ति और संकल्प की प्राप्ति होती है।

🌼 2. माँ ब्रह्मचारिणी: हज़ार वर्ष की तपस्या की गाथा 🧘♀️

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Credit: navbharattimes

कथा:

पूर्वजन्म में माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए अत्यंत कठोर तपस्या की। उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाकर, 100 वर्ष तक पत्तों पर जीवित रहकर, और अंत में निराहार रहकर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वरदान दिया: “तुम शिव को पति रूप में पाओगी।” इसी तपस्या के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम मिला।

मंत्र:

दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला-कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

सीख:

संघर्षों में धैर्य और निष्ठा बनाए रखने की प्रेरणा।

🔔 3. माँ चन्द्रघण्टा: युद्ध की घंटी और दानवों का संहार 🔱

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Credit: abplive

कथा:

माँ चन्द्रघण्टा के मस्तक पर अर्धचंद्र होने के कारण उन्हें यह नाम मिला। इनकी घंटी की ध्वनि से राक्षस भागते हैं। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि जब देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हुआ, तो इन्होंने अपने शस्त्रों और घंटी की गर्जना से दानवों का नाश किया। ये सदैव युद्ध के लिए तैयार रहती हैं, लेकिन भक्तों के लिए कृपालु स्वरूप धारण करती हैं।

मंत्र:

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

विशेषता:

इनकी पूजा से भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

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🎃 4. माँ कूष्माण्डा: ब्रह्माण्ड की रचयिता 🌌

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Credit: bhaktvatsal

कथा:

जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब माँ कूष्माण्डा ने अपनी मंद हँसी (कूष्म) से ब्रह्माण्ड (अण्ड) की रचना की। इन्हें “आदिशक्ति” माना जाता है। इनकी आठ भुजाओं में कमल, धनुष, बाण, कलश, चक्र, गदा, और जपमाला हैं। कूष्माण्ड (कुम्हड़ा) इनका प्रिय प्रसाद है, इसलिए इन्हें यह नाम मिला।

मंत्र:

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे॥

रहस्य:

इनकी उपासना से रचनात्मक शक्ति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

🐯 5. माँ स्कंदमाता: कार्तिकेय की माता और कालिदास की प्रेरणा 🛡️

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Credit: prabhatkhabar

कथा:

स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, तारकासुर नामक राक्षस का वध केवल शिव-पुत्र ही कर सकता था। इसलिए देवताओं की प्रार्थना पर शिव के तेज से स्कंद का जन्म हुआ, जिन्हें माँ पार्वती ने पाला। इनकी कृपा से महाकवि कालिदास ने “रघुवंश” और “मेघदूत” जैसे ग्रंथों की रचना की।

मंत्र:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

महत्व:

संतान की सुरक्षा और बुद्धि के लिए इनकी पूजा की जाती है।

⚔️ 6. माँ कात्यायनी: महिषासुर का वध और कृष्ण की सखी 🏹

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Credit: abplive

कथा:

ऋषि कात्यायन ने दुर्गा को पुत्री रूप में पाने के लिए तपस्या की। माँ ने उनके आश्रम में जन्म लेकर कात्यायनी नाम पाया। बाद में, इन्होंने महिषासुर का वध किया। एक अन्य कथा के अनुसार, ब्रज की गोपियों ने कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना तट पर इनकी पूजा की थी।

मंत्र:

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानव-घातिनी॥

विशेष लाभ:

शत्रुओं और कानूनी समस्याओं से मुक्ति।

🌑 7. माँ कालरात्रि: शुम्भ-निशुम्भ का वध और भक्तों की रक्षा 🌚

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Credit: navbharattimes

कथा:

दैत्य शुम्भ-निशुम्भ के अत्याचारों से देवता त्रस्त थे। तब माँ पार्वती ने कालरात्रि का रूप धारण किया। इन्होंने अपने भयानक रूप से दैत्यों का संहार किया और उनके रक्त से पृथ्वी को पवित्र किया। ये भक्तों को आतंक और अंधकार से बचाती हैं।

मंत्र:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

पूजा विधि:

काले तिल या उड़द के दीये से आरती करें।

🌟 8. माँ महागौरी: गंगाजल से शुद्धि की कथा ⚪

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Credit: livehindustan

कथा:

माँ पार्वती ने शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया। तब शिव ने गंगाजल से उन्हें स्नान कराया, जिससे वे महागौरी बनीं। ये पवित्रता और सौम्यता की प्रतिमूर्ति हैं।

मंत्र:

श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव-प्रमोद-दा॥

लाभ:

🕉️ 9. माँ सिद्धिदात्री: शिव को आधा शरीर देने वाली 🌈

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Credit: abplive

कथा:

माँ सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को अणिमा, महिमा जैसी आठ सिद्धियाँ प्रदान कीं। इनकी कृपा से शिव का आधा शरीर देवी का हुआ, इसलिए वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए। ये साधकों को सभी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।

मंत्र:

सिद्धगन्धर्व-यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

रहस्य:

नवमी के दिन इनके मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

निष्कर्ष:

माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा हमें आत्मविश्वास, मानसिक शक्ति और जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देती है। इन देवियों के विविध रूपों के माध्यम से हम न केवल अपनी आध्यात्मिक यात्रा को संवारते हैं, बल्कि अपने दैनिक जीवन के संघर्षों में भी शक्ति और साहस प्राप्त करते हैं। माँ दुर्गा की कृपा से हम अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शित कर सकते हैं। उनका आशीर्वाद हर किसी को सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करें। जय माँ दुर्गा! 🌸🙏

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अस्वीकरण:

यह लेख माँ दुर्गा के दिव्य रूपों और उनके महत्व के बारे में प्रेरणा देने और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। यहां दी गई जानकारी पारंपरिक विश्वासों और सांस्कृतिक प्रथाओं पर आधारित है। हम सभी आध्यात्मिक मार्गों का सम्मान करते हैं और आपको इन पवित्र क्रियाओं को श्रद्धा और सम्मान के साथ अपनाने की सलाह देते हैं। कृपया व्यक्तिगत मार्गदर्शन के लिए अपने स्थानीय आध्यात्मिक गुरु या पंडित से परामर्श करें। माँ दुर्गा की आशीर्वाद से आपका जीवन शक्ति, शांति और सकारात्मकता से भरपूर हो! 🌸✨

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