By AMAN UPADHYAY MAY 01, 2025

जानिए कैसे आत्म-नियंत्रण और आत्म-साक्षात्कार से जीवन में स्थायी शांति और आनंद पाया जा सकता है।

आत्म-नियंत्रण: जीवन की असली चाबी 

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शुरुआत आत्म-नियंत्रण से 

जीवन को दिशा देने वाला असली साधन है आत्म-नियंत्रण। बिना इसके ज्ञान अधूरा है।

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असली ज्ञानी की सोच 

आत्मनियंत्रित योगी जानता है कि सारी क्रियाएं शरीर से होती हैं, आत्मा मात्र साक्षी है।

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शरीर - एक नौ द्वारों वाला महल 

यह शरीर एक नौ द्वारों का महल है — आत्मा इसका राजा है, जो सिर्फ देखती है।

आत्मा vs शरीर 

आत्म-साक्षात्कार के बाद आता है बोध: मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ। 

आत्म-साक्षात्कार की शक्ति 

जब आत्मा को पहचानते हैं, तो जीवन के प्रति सोच ही बदल जाती है।

इंद्रियाँ किसकी सेवा में? 

इंद्रियाँ सिर्फ शरीर को सुख देती हैं, आत्मा को नहीं।

आत्मिक आनंद क्या है? 

आध्यात्मिक आनंद स्थायी है, वह आत्मा को छूता है — शरीर को नहीं।

युवाओं के लिए भ्रम का समय 

युवा अक्सर माया के सुखों में खो जाते हैं, जो तात्कालिक और छलावा हैं।

स्थायी बनाम तात्कालिक सुख 

शरीर के सुख अस्थायी हैं, आत्मा को चाहिए शाश्वत शांति

जागरूक बनो, मुक्त रहो 

आत्म-नियंत्रण से ही माया से मुक्ति मिलती है — और यहीं से असली आज़ादी शुरू होती है।

भगवद गीता का ज्ञान: आत्मा को पहचानो, जीवन बदलो  

आत्मा की पहचान ही आत्म-नियंत्रण की शुरुआत है — और यहीं से जीवन धन्य हो जाता है

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त्यागी कौन? जानिए श्रीकृष्ण की नजर में सच्चे कर्मयोगी की पहचान!

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Disclaimer

यह सामग्री भगवद गीता के सिद्धांतों से प्रेरित है, जो जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। निर्णय लेने में विवेक और संतुलन आवश्यक है। गीता के अनुसार, हर व्यक्ति की यात्रा अलग है, और सफलता केवल निरंतर प्रयास और विश्वास से प्राप्त होती है। जीवन के हर कदम में ध्यान रखें कि कर्म ही साधना है, और फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों को निभाएं।

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