By AMAN UPADHYAY APRIL 17, 2025

कर्म ही आपकी असली पहचान है, जाति नहीं। जानिए कैसे अपने गुण पहचानकर आप सफलता और संतुष्टि की राह पर बढ़ सकते हैं। 

पहचानो अपना प्रधान गुण – श्रीकृष्ण का सन्देश!  

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GEETA GYAN

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वर्ण व्यवस्था का असली आधार क्या है?

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा – समाज चार वर्णों में प्रधान गुणों के आधार पर बंटा है, ना कि जन्म के आधार पर। 

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कर्म से विमुख होना पाप है!

अर्जुन योद्धा है, इसलिए सत्य की रक्षा हेतु युद्ध करना उसका कर्तव्य है। इससे हटना उसके धर्म से भागना होगा।

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कर्म से मिलती है पहचान 

जन्म नहीं, कर्म तय करता है आपकी जाति!  प्राचीन काल में पेशा परिवार से चलता था, इसलिए जाति को जन्म से जोड़ा गया। पर असल में जाति = कर्म।

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बदल चुका है समय 

अब पहचानें अपने पेशे को!  आज लुहार का बेटा डॉक्टर बन सकता है और किसान की बेटी वैज्ञानिक। पहचान अब गुणों से होती है, न कि वंश से। 

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आधुनिक ब्राह्मण कौन? 

गुरु बनो, ब्राह्मण बनो! जो ज्ञान बाँटता है, जो सिखाता है, वही आज का ब्राह्मण है – चाहे उसकी जाति कुछ भी हो।

आज का क्षत्रिय 

जो सुरक्षा देता है, वही क्षत्रिय है! पुलिसकर्मी, सैनिक, और फौजी – ये सब आज के सच्चे क्षत्रिय हैं जो समाज की रक्षा करते हैं।

आधुनिक वैश्य 

जो व्यापार करता है, वही वैश्य है! व्यापारी, दुकानदार, सेल्फ-एम्प्लॉइड लोग – ये सभी आज के वैश्य हैं। ये देश की अर्थव्यवस्था चलाते हैं।

आज का शूद्र 

जो सेवा देता है, वही शूद्र है! कर्मचारी, टेक्निशियन, सर्विस प्रोवाइडर – ये सब आधुनिक शूद्र हैं। सेवा देना गौरव की बात है।

खोजो अपने गुण, पाओ अपनी दिशा!

हर युवा को अपने प्रधान गुणों को पहचानना चाहिए – यही सफलता का पहला कदम है।

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बनो वही जो तुम हो! 

जिसमें निपुण हो, उसी को अपनाओ! अगर संवाद अच्छा नहीं कर सकते, तो वक्ता न बनो। अपनी योग्यता पहचानकर ही अपना करियर चुनो।

भगवद गीता का ज्ञान: सफलता + संतोष = सही रास्ता 

सही पेशा चुनकर सिर्फ सफलता नहीं, बल्कि आत्म-संतोष भी मिलेगा – और यही असली जीत है।

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अगली स्टोरी देखें ... 

सफलता चाहिए? तो जानिए भगवान श्रीकृष्ण का रहस्य!

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Disclaimer

यह सामग्री भगवद गीता के सिद्धांतों से प्रेरित है, जो जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। निर्णय लेने में विवेक और संतुलन आवश्यक है। गीता के अनुसार, हर व्यक्ति की यात्रा अलग है, और सफलता केवल निरंतर प्रयास और विश्वास से प्राप्त होती है। जीवन के हर कदम में ध्यान रखें कि कर्म ही साधना है, और फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों को निभाएं।

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