By AMAN UPADHYAY MARCH 12, 2025

भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्य की महिमा बताई। जानिए, कैसे कर्तव्य निभाने से पाप नहीं लगता और सफलता मिलती है! 

अपना कर्तव्य निभाएं, जीवन सफल बनाएं! 

GEETA GYAN

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कर्तव्य ही धर्म है! 

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं—"कर्तव्य से विमुख होना अधर्म है, कर्तव्य निभाओ, जीवन सार्थक बनाओ!" 

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धर्मसंगत युद्ध से पीछे मत हटो! 

अर्जुन, तुम वीर हो! यदि तुम कर्तव्य से मुंह मोड़ोगे, तो प्रतिष्ठा धूमिल होगी और पाप लगेगा। 

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डर नहीं, कर्तव्य निभाने की शक्ति चाहिए! 

यदि तुम युद्ध से पीछे हटे, तो लोग कहेंगे कि तुम डर गए। यह वीर के लिए सबसे बड़ा अपमान होगा। 

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हर स्थिति में लाभ! 

यदि युद्ध में मरे तो स्वर्ग मिलेगा, और यदि जीते तो पृथ्वी के स्वामी बनोगे। दोनों स्थितियों में फायदा ही फायदा! 

विजय और पराजय को समान समझो! 

भगवान कहते हैं—"अर्जुन, युद्ध करो लेकिन फल की चिंता मत करो। बस अपने धर्म पर अडिग रहो।" 

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कर्तव्य से भागना पाप है! 

अगर कोई अपने कर्तव्य को टालता है, तो वह खुद के साथ समाज से भी अन्याय करता है। 

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कर्तव्य पालन का मूल मंत्र! 

कर्तव्य निभाने से मन शांत होता है, आत्मा पवित्र होती है और समाज में आदर बढ़ता है। 

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हर भूमिका में कर्तव्य निभाओ! 

विद्यार्थी का कर्तव्य पढ़ाई, कर्मचारी का मेहनत, योद्धा का युद्ध—हर भूमिका में कर्तव्य सर्वोपरि है! 

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कर्तव्य ही असली सफलता है! 

जीवन में असली सफलता वही है जो कर्तव्य निभाने से मिले, न कि जो केवल भाग्य से आए। 

कर्तव्य से महानता मिलती है! 

जो अपना धर्म निभाता है, वह ही संसार में याद रखा जाता है। कर्तव्य निभाओ, खुद को महान बनाओ! 

भगवद गीता का ज्ञान: अब देर कैसी? उठो और अपने कर्तव्य की राह पर चलो!   

कर्तव्य ही सबसे बड़ा धर्म है—क्या तुम अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से निभाने के लिए तैयार हो? 

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आपका समय सीमित है | जीवन का सत्य जानिए

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Disclaimer

यह सामग्री भगवद गीता के सिद्धांतों से प्रेरित है, जो जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। निर्णय लेने में विवेक और संतुलन आवश्यक है। गीता के अनुसार, हर व्यक्ति की यात्रा अलग है, और सफलता केवल निरंतर प्रयास और विश्वास से प्राप्त होती है। जीवन के हर कदम में ध्यान रखें कि कर्म ही साधना है, और फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों को निभाएं।

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