स्वतंत्रता से गणराज्य तक: भारतीय संविधान की यात्रा 

By AMAN UPADHYAY

January 25, 2025

हमारी आज़ादी से लेकर गणराज्य बनने तक के सफर को जानिए। संविधान के निर्माण में किन पहलुओं ने देश का भविष्य आकार लिया।

15 अगस्त 1947, भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी। अब सवाल था—हमारा भविष्य क्या होगा? 

स्वतंत्रता का सपना 

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स्वतंत्रता के बाद, एक मजबूत संविधान की आवश्यकता महसूस हुई। हमारा संविधान देश की धारा तय करने वाला होगा। 

संविधान की आवश्यकता

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9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई। भारत के भविष्य की नींव रखी गई। 

संविधान सभा की शुरुआत! 

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डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने संविधान के मुख्य निर्माता के रूप में अपार योगदान दिया। वह थे ‘भारतीय संविधान के निर्माता’। 

डॉक्टर अंबेडकर का योगदान

संविधान बनाने में 2 साल, 11 महीने, और 18 दिन लगे। 308 सदस्य, 395 अनुच्छेद—यह कठिन काम था।

संविधान के निर्माण का कठिन सफर

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26 नवम्बर 1949 को संविधान के प्राक्कथन को मंजूरी दी गई, यह भारत के लोकतांत्रिक सफर की शुरुआत थी।

संविधान का प्राक्कथन 

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26 जनवरी 1950 को भारत को पूरी तरह से गणराज्य घोषित किया गया, और भारतीय संविधान लागू हुआ। 

गणराज्य की ओर बढ़ते कदम 

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भारतीय संविधान ने लोकतंत्र, स्वतंत्रता, और समानता के सिद्धांतों को सर्वोपरि रखा। यह हमारे अधिकारों की गारंटी है। 

संविधान में लोकतंत्र का आदर्श 

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संविधान में समय-समय पर बदलाव किए गए, जिससे यह आज भी हमारे समाज के बदलते रूप को दर्शाता है। 

संविधान: एक जीवित दस्तावेज़ 

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आज, हमारा देश लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समृद्ध बन चुका है, यह सब संविधान की दी हुई राह पर चलकर। 

आज का भारत, संविधान के रास्ते 

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