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श्रीकृष्ण को “दामोदर” क्यों कहते हैं? जानें उनकी माखन चोरी और रस्सी से बंधे होने की अद्भुत कथा! 🧑‍🍳🔗

श्रीकृष्ण के अनंत नाम और उनकी अद्भुत लीलाएँ

श्रीकृष्ण के अनंत नामों में एक प्रमुख नाम है “दामोदर”। इस नाम का संबंध उनकी बचपन की एक लीला से जुड़ा है, जो आज भी भक्तों के दिलों में ताजगी और उल्लास भरता है। “दामोदर” का अर्थ है “दाम” (रस्सी) और “उदर” (पेट)। यह नाम उस समय के एक अद्भुत घटनाक्रम से जुड़ा है, जब श्रीकृष्ण को रस्सी से बंधा हुआ पाया गया था।

दामोदर नाम की कथा: श्रीकृष्ण और माखन की चोरी 🍽️

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Credit: ytimg

माता यशोदा की ममता और श्रीकृष्ण की लीला

गोकुल में एक दिन माता यशोदा माखन निकाल रही थीं। उसी समय श्रीकृष्ण वहां आए और माखन खाने की जिद करने लगे। उनका मोहक रूप और प्यारी मुस्कान देखकर माता यशोदा ने सब कुछ छोड़ दिया और उन्हें दूध पिलाने लगीं। इस दौरान उन्होंने अंगीठी पर रखा हुआ दूध गर्म करने की बात भूल गई।

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श्रीकृष्ण की क्रोधी लीला और माखन की चोरी

जब माता यशोदा रसोई में गईं, तो श्रीकृष्ण ने माखन के घड़े तोड़कर उन्हें खा लिया। जब यशोदा ने घर वापस लौट कर यह देखा, तो वे बहुत क्रोधित हो गईं। उन्होंने श्रीकृष्ण को दंड देने की सोची और एक छड़ी उठाकर उन्हें मारने दौड़ी। श्रीकृष्ण ने उन्हें पकड़ने नहीं दिया और भागते हुए घर भर में माखन उड़ा दिया। 🥄🍯

श्रीकृष्ण का "दामोदर" नाम कैसे पड़ा? 🔗

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Credit: googleusercontent

रस्सी से बांधने की कोशिश

माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को सजा देने के लिए उन्हें ओखली से बांधने की कोशिश की। लेकिन हर बार रस्सी दो अंगुल छोटी पड़ जाती थी। अंत में जब माता थक कर चूर हो गईं, तो श्रीकृष्ण ने स्वयं को रस्सी से बांध लिया। यही कारण है कि उनका नाम “दामोदर” पड़ा।

लीला का गहरा अर्थ

संस्कृत में “दाम” का अर्थ रस्सी और “उदर” का अर्थ पेट है। श्रीकृष्ण ने स्वयं को रस्सी से बांधकर माता यशोदा का वात्सल्य और ममता का सम्मान किया। यही वह समय था जब श्रीकृष्ण को “दामोदर” के नाम से पुकारा गया। 🙏💕

राधा जी द्वारा श्रीकृष्ण को दामोदर नाम देना 🌸

Credit: radhakrishnatemplec

राधा जी का प्रेम और विलंब का कारण

एक बार राधा जी उद्यान में बैठकर श्रीकृष्ण का इंतजार कर रही थीं। श्रीकृष्ण के विलंब से आने पर राधा जी ने उन्हें लताओं की रस्सी से बांध लिया। जब श्रीकृष्ण ने बताया कि वे यशोदा मैया के कारण विलंब से आए थे, तो राधा जी ने क्षमा याचना की। तब श्रीकृष्ण ने हंसते हुए कहा, “मैं तो पहले ही तुम्हारे प्रेम से बंधा हुआ हूँ।” 😇💖

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दामोदर" नाम की पुनरावृत्ति

राधा जी ने इस प्रेम भरे संवाद के बाद श्रीकृष्ण को “दामोदर” के नाम से संबोधित किया। यह नाम अब श्रीकृष्ण का एक प्रमुख नाम बन गया, जो उनकी ममता, प्रेम और लीला का प्रतीक है।

कथाएँ और लीला का महत्व 🕊️

  • प्रेम और कर्तव्य का अद्भुत संगम: श्रीकृष्ण ने अपनी माखन चोरी, रस्सी से बंधने और अन्य लीलाओं के माध्यम से भक्तों को प्रेम, वात्सल्य और कर्तव्य की महत्ता सिखाई।
  • “दामोदर” नाम का आध्यात्मिक महत्व: यह नाम न केवल उनकी लीलाओं का प्रतीक है, बल्कि यह भगवान के अद्वितीय प्रेम और शक्ति को भी दर्शाता है।
  • राधा और श्रीकृष्ण का अटूट संबंध: राधा जी का प्रेम और श्रीकृष्ण का उनके प्रति अनंत स्नेह इस नाम के माध्यम से प्रकट होता है।

Conclusion:

“दामोदर” नाम श्रीकृष्ण के अनंत रूपों और उनकी माया की दया को दर्शाता है। इस कथा के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों के लिए न केवल अत्यधिक प्रेम और वात्सल्य दिखाया, बल्कि उन्होंने हर लीला में अपने भक्तों के लिए अद्वितीय संदेश भी दिए। जय श्री दामोदर! 🌸🙏

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Disclaimer:

इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना और श्रीकृष्ण की लीलाओं का समर्पण करना है। हम किसी भी व्यक्ति या धर्म के खिलाफ कोई नकारात्मक या झूठा आरोप नहीं लगा रहे हैं। सभी विवरण शास्त्रों और पुरानी कथाओं पर आधारित हैं। हम पाठकों से निवेदन करते हैं कि वे इन कथाओं को श्रद्धा और समर्पण के साथ पढ़ें, बिना किसी प्रकार की विवादित दृष्टि से।🙏📖

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