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Toggleकर्नाटक में मंकी फीवर का बढ़ता खतरा – जानें ये बीमारी, इसके लक्षण, इलाज और बचाव के तरीके 🦠💉
पिछले कुछ महीनों में कर्नाटक में मंकी फीवर के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है। जनवरी 2024 में मंकी फीवर के 64 मामले सामने आए, जिनमें से दो लोगों की दुखद मृत्यु हो गई। अब इस बीमारी के प्रसार को देखते हुए राज्य सरकार ने मुफ्त इलाज की घोषणा की है और लोगों से जागरूक रहने की अपील की है।
मंकी फीवर का खतरा उन इलाकों में अधिक है, जहां बंदरों की संख्या ज्यादा है। कर्नाटक के अलावा महाराष्ट्र और गोवा में भी इस बीमारी के कई मामले देखे गए हैं। इस महामारी के मामले हर साल जनवरी से मई के बीच तेजी से बढ़ते हैं, जिससे कई बार यह बीमारी एपिडेमिक का रूप भी ले लेती है।
कर्नाटक में मंकी फीवर का असर 📊

कर्नाटक में पिछले साल 2024 में मंकी फीवर के 303 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से 14 लोगों की मृत्यु हो गई। यही नहीं, कर्नाटक में हर साल मंकी फीवर के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है, खासकर पश्चिमी घाट के इलाकों में, जहां यह बीमारी एंडेमिक हो चुकी है।
भारत में हर साल मंकी फीवर के करीब 400 से 500 मामले सामने आते हैं, जिनमें से लगभग 25 लोगों की मृत्यु होती है। इस कारण से सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी को लेकर सतर्क हैं।
क्या है मंकी फीवर? 🐒🦠
मंकी फीवर, जिसे क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) भी कहा जाता है, एक गंभीर बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। यह बीमारी बंदरों के शरीर में रहने वाले ticks (किलनी) द्वारा इंसान को काटने से फैलती है।
मंकी फीवर के लक्षण क्या हैं? 🤒

मंकी फीवर के लक्षण आमतौर पर tick के काटने के 3-4 दिन बाद दिखने लगते हैं। इसके लक्षणों में:
- अचानक ठंड के साथ बुखार (Fever) 🔥
- तेज सिरदर्द (Headache) 🤕
- शरीर में दर्द और कमजोरी (Body Ache)
अगर बीमारी गंभीर हो जाए तो:
- नाक से खून आना (Nosebleeds) 👃
- न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स (Neurological Issues), जैसे कि भ्रम और उनींदापन (Confusion, Drowsiness) 🧠
क्या मंकी फीवर खतरनाक है? ⚠️
मंकी फीवर एक खतरनाक बीमारी हो सकती है, खासकर अगर यह समय पर ठीक से इलाज न किया जाए। इस बीमारी की death rate 3-10% के बीच हो सकती है, जो कि गंभीर स्थिति में बहुत बढ़ सकती है। यदि संक्रमण अधिक बढ़ जाए तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
मंकी फीवर का इलाज क्या है? 💊
मंकी फीवर का कोई विशेष antibiotic उपलब्ध नहीं है। इसका इलाज मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने और मरीज को आराम देने के लिए किया जाता है।
- बुखार और दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर दवाइयां देते हैं।
- मरीज को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है, इसलिए पानी और अन्य तरल पदार्थों की सलाह दी जाती है। 💧
अधिकांश मामलों में मरीजों को hospital में भर्ती किया जाता है, ताकि उन्हें उचित उपचार और निगरानी मिल सके। इस दौरान, डॉक्टर dehydration, low blood pressure, bleeding जैसे लक्षणों का इलाज करते हैं। यदि मरीज बहुत कमजोर हो जाता है, तो IV fluids और blood transfusion की आवश्यकता हो सकती है।
मंकी फीवर से बचाव के उपाय 🚫

चूंकि मंकी फीवर का कोई सटीक इलाज नहीं है, इसलिए इससे बचाव करना बेहद जरूरी है। भारत में अभी तक मंकी फीवर के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए इसके फैलने से बचने के लिए कुछ विशेष सावधानियां अपनानी चाहिए:
- बंदरों से दूरी बनाएं: बंदरों से दूर रहना और उन्हें हाथ न लगाना। 🐒
- टिक्स से बचाव: Ticks (किलनी) से बचने के लिए संक्रमित इलाकों में जाने से बचें। 👟
- पारंपरिक उपाय: संक्रमित इलाकों में यात्रा करते समय, mosquito repellents का उपयोग करें और लंबी स्लीव्स और पैंट पहनें। 🦠🦸♂️
- स्वच्छता बनाए रखें: अपने आसपास की सफाई रखें और बुखार या सिरदर्द जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 🧴
क्या इंसान से इंसान मंकी फीवर फैलता है?
यह बीमारी मुख्य रूप से जानवरों, खासकर बंदरों से इंसानों में फैलती है, और इसकी संभावना इंसान से इंसान में कम होती है। फिर भी, सावधानी बरतना और बीमारी के लक्षण दिखने पर समय पर उपचार लेना जरूरी है।
निष्कर्ष :
कर्नाटक में मंकी फीवर के मामलों में बढ़ोतरी के साथ, यह समझना जरूरी है कि यह बीमारी एक गंभीर समस्या बन सकती है। सतर्कता और उचित इलाज से हम इस महामारी पर काबू पा सकते हैं। अगर आपको या आपके आसपास किसी को मंकी फीवर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज शुरू करें।
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डिस्क्लेमर :
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और किसी भी प्रकार का चिकित्सा सलाह या उपचार प्रदान करने का उद्देश्य नहीं है। मंकी फीवर एक गंभीर बीमारी हो सकती है, इसलिए यदि आपको इसके लक्षण महसूस हों या संदेह हो, तो तुरंत किसी योग्य डॉक्टर से संपर्क करें। आपका स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है। कृपया सतर्क रहें और सावधानी बरतें। �