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Toggleशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाने के रहस्य : कब और कैसे तोड़ें बेलपत्र? जानें जरूरी नियम 🌿🙏
महाशिवरात्रि 2025: जानिए बेलपत्र से जुड़े अहम नियम

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन शिव भक्त विशेष रूप से शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं, क्योंकि यह भगवान शिव का प्रिय फूल माना जाता है। लेकिन, बेलपत्र तोड़ने और चढ़ाने से जुड़े कुछ नियम और परंपराएँ हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बेलपत्र कब तोड़ें और कब नहीं, ताकि आपकी पूजा सही तरीके से पूरी हो और भगवान शिव की कृपा आप पर बनी रहे। 🌸
महाशिवरात्रि: फाल्गुन माह और शिव पूजा का महत्व

महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार 27 फरवरी 2025, गुरुवार को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। इस दिन, लाखों शिव भक्त अपने घरों और शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस अवसर पर भगवान शिव को प्रिय चीजों में बेलपत्र, भांग, धतुरा और सफेद फूल चढ़ाए जाते हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है, लेकिन इसके साथ कुछ खास नियम भी जुड़े हैं। 🔱
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कब तोड़ें और कब न तोड़ें बेलपत्र? महत्वपूर्ण नियम

बेलपत्र (Belpatra) तोड़ने से जुड़ी कुछ खास शास्त्रों में वर्णित मान्यताएँ हैं। सही समय और विधि से बेलपत्र तोड़ने से ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है। आइए जानते हैं, बेलपत्र तोड़ने के कुछ महत्वपूर्ण नियम:
सोमवार को बेलपत्र तोड़ना है वर्जित 🛑
- सोमवारी (Monday) को बेलपत्र तोड़ना मना होता है, क्योंकि इस दिन माँ पार्वती का वास बेलपत्र पर माना जाता है। यदि इस दिन बेलपत्र तोड़ा जाता है तो भगवान शिव के नाराज होने का डर रहता है।
रविवार और द्वादशी तिथि ✋
- रविवार (Sunday) और माह की द्वादशी तिथि पर भी बेलपत्र तोड़ना वर्जित है। स्कंद पुराण के अनुसार इन दिनों में बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं। हालांकि, इन दिनों बेलपत्र के पेड़ की पूजा करने से लाभ होता है, और यह धन-संपत्ति में वृद्धि का कारण बनता है।
अमावस्या, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और संक्रांति पर न तोड़ें बेलपत्र 🚫
- अमावस्या (New Moon), चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और संक्रांति तिथियों पर भी बेलपत्र तोड़ना मना होता है। इन तिथियों पर बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।
केवल पत्तियां तोड़ें, टहनियां नहीं 🌿
- जब भी बेलपत्र तोड़ें, हमेशा ध्यान रखें कि केवल पत्तियां ही तोड़ें, टहनी नहीं। बेलपत्र की टहनी को काटना पूजा में अशुभ माना जाता है।
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शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय रखें ये सावधानियाँ

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ खास सावधानियाँ बरतनी चाहिए, ताकि आपकी पूजा सफल और फलदायक हो:
तीन पत्तों वाले बेलपत्र चढ़ाएं 🌿
- शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तों वाले बेलपत्र चढ़ाएं, क्योंकि तीन भगवान शिव के त्रिनेत्र का प्रतीक माने जाते हैं। आप बेलपत्र की संख्या 3, 7, 11 या 21 जैसी विषम संख्याओं में चढ़ा सकते हैं।
साफ और ताजे बेलपत्र का उपयोग करें 🧼
- बेलपत्र हमेशा साफ, ताजे और बिना किसी दाग-धब्बे वाले होने चाहिए। मुरझाए हुए बेलपत्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। पूजा से पहले, बेलपत्र को अच्छी तरह से साफ करें।
चंदन से ओम या श्रीराम लिखें ✍️
- शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे चंदन से ओम या श्रीराम का नाम लिखें, ताकि पूजा अधिक फलदायी हो।
मंत्र का जाप करें 💫
- बेलपत्र चढ़ाते वक्त “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें, ताकि आपकी पूजा और अर्चना पूर्ण रूप से सफल हो।
शिवलिंग पर जलाभिषेक के बाद बेलपत्र चढ़ाएं 💧
- पूजा का सही क्रम है कि पहले शिवलिंग पर जलाभिषेक करें, और उसके बाद ही बेलपत्र चढ़ाएं। इसके बाद जलाभिषेक नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष:
महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाना भगवान शिव की पूजा में विशेष महत्व रखता है, लेकिन इसके लिए सही समय और विधि का पालन करना जरूरी है। यदि आप ऊपर दिए गए नियमों का पालन करते हैं, तो निश्चित ही भगवान शिव की कृपा आप पर बनी रहेगी। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते वक्त सावधानी बरतें और शुभ कार्यों में आशीर्वाद प्राप्त करें। 🙏🌿
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नोट: 🙏
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है, जिसका उद्देश्य आपको महाशिवरात्रि के दौरान बेलपत्र से जुड़ी सही जानकारी देना है। हम इस जानकारी के माध्यम से किसी भी प्रकार की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। कृपया ध्यान रखें कि पूजा विधि और धार्मिक आस्थाएँ व्यक्तिगत होती हैं, और हम सभी को अपने विश्वास और श्रद्धा के अनुसार पूजा करनी चाहिए। इस लेख का उद्देश्य केवल मार्गदर्शन देना है, न कि किसी भी प्रकार की आधिकारिक धार्मिक सलाह देना। 💫🙏