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Toggleगर्मी की आग और सूखती धरती – विष्णु पुराण की सच होती चेतावनी!
अभी तो बस अप्रैल का महीना है, लेकिन सूरज की तपिश ने मानो आसमान से आग बरसाना शुरू कर दिया है। सुबह से लेकर रात तक, लू के थपेड़े शरीर को झुलसाने लगे हैं। India Meteorological Department (IMD) पहले ही चेतावनी दे चुका है कि इस बार मई-जून में तापमान सारे रिकॉर्ड तोड़ सकता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि Vishnu Puran जैसे प्राचीन ग्रंथ में इन हालातों की भविष्यवाणी हजारों साल पहले ही कर दी गई थी?
जी हां, Vishnu Puran में Kaliyug के अंतिम चरण का जो चित्र खींचा गया है, वह आज की Climate Crisis, Water Scarcity, और Extreme Heatwaves से एकदम मेल खाता है। आइए, बेहद विस्तार से समझते हैं कि किस तरह Vishnu Puran की पांच प्रमुख भविष्यवाणियां आज हमारे चारों ओर साकार हो रही हैं।
जब धरती की छाती से हरियाली गायब हो जाएगी – भूमि की उर्वरता पर संकट की गाथा 🌿

Vishnu Puran के अनुसार जब Chaturyug अपने अंतिम चरण में होता है, तब धरती की Fertility धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। यह वह समय होता है जब धरती की आत्मा मानो दम तोड़ रही होती है।
किसानों की मेहनत रंग नहीं लाती, बीज जमीन में अंकुरित नहीं होते, और हवा में बस धूल और सूखी घास की गंध तैरती है।
📌 इस भविष्यवाणी में दर्ज संकेत:
- खेतों की मिट्टी दरारों में तब्दील हो जाएगी।
- नदियों के किनारे घास भी नहीं उगेगी।
- पेड़ सूखकर खड़े रहेंगे, लेकिन उनमें जान नहीं होगी।
- लोगों के चेहरों पर थकावट, आंखों में मायूसी और होंठों पर पपड़ी जम चुकी होगी।
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💧 जब जल की एक बूँद पाने को इंसान जान गंवाएगा – जल संकट की कालजयी चेतावनी

जल, जिसे हम जीवन कहते हैं, वही एक दिन इतनी दुर्लभ चीज़ बन जाएगी कि लोग उसे खरीदने के लिए जमीन-जायदाद बेचने को तैयार हो जाएंगे। Vishnu Puran में यह स्पष्ट कहा गया है कि कलियुग में जल इतना दुर्लभ हो जाएगा कि लोग पानी के लिए एक-दूसरे की जान लेने को तैयार हो जाएंगे।
📌 भविष्यवाणी के अनुसार:
- कुएं, तालाब और नदियाँ धीरे-धीरे सूख जाएंगी।
- वर्षा ऋतु समय पर नहीं आएगी, और अगर आएगी भी तो बर्बादी लाएगी।
- गांवों में बोरवेल खुदेंगे, लेकिन वहां से सिर्फ धूल निकलेगी।
- लोग बाल्टी-बाल्टी पानी के लिए कतारों में खड़े होंगे, और अक्सर यह कतारें झगड़े में बदल जाएंगी।
🐢 जब धरती की पीठ पर पड़ जाएंगी भयंकर दरारें – कछुए जैसी दरारदार सतह की भविष्यवाणी

कल्पना कीजिए उस धरती की, जिसे हम ‘माँ’ कहते हैं, उसकी सतह इतनी सूखी हो जाएगी कि उसमें जान ही नहीं बचेगी। वह कछुए की पीठ जैसी फटी-फटी दिखेगी।
Vishnu Puran में यह दृश्य न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि आज के Desertification और Soil Erosion की वास्तविक तस्वीर को दर्शाता है।
📌 भविष्यवाणी के अनुसार:
- खेतों की ज़मीन सख्त और चटक हो जाएगी।
- धरती से भाप उठेगी, और हर कदम पर जलन महसूस होगी।
- जानवर चरने की जगह ढूंढते-ढूंढते मर जाएंगे।
- बच्चे मिट्टी में खेलने के बजाय उससे डरने लगेंगे।
☀️ जब सूर्य अग्नि की बारिश करेगा और लोग कहेंगे—यह नरक है! – सूरज की प्रचंडता की चेतावनी |

Vishnu Puran की यह भविष्यवाणी शायद सबसे ज्यादा डराने वाली है। इसमें बताया गया है कि कलियुग में सूर्य की किरणें सिर्फ रोशनी नहीं, बल्कि अग्नि की बौछार जैसी होंगी।
लोग धूप में कदम रखते ही झुलसने लगेंगे। सड़कों पर निकलना जानलेवा होगा और शरीर से पसीना नहीं, आग की भाप निकलेगी।
📌 इस परिस्थिति में:
- घरों की दीवारें तक गर्म हो जाएंगी।
- दुपहर में शहर वीरान हो जाएंगे।
- गर्मी के कारण मानसिक संतुलन भी बिगड़ने लगेगा।
- लोग भगवान से सिर्फ एक ही दुआ करेंगे—“छांव दे दो, पानी दे दो!”
⏳ जब समय की गति और मौसम का चक्र टूट जाएगा – देव और धरती का संतुलन बिगड़ने की चेतावनी
Vishnu Puran बताता है कि देवताओं के लोक में समय और मौसम का जो सटीक संतुलन है, वह कलियुग के अंतिम चरण में पूरी तरह बिगड़ जाएगा। इसका प्रभाव धरती पर मौसम के बदलते स्वरूप में दिखेगा।
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📌 इस असंतुलन के परिणाम:
- एक ही दिन में चार मौसम महसूस होंगे—सुबह ठंड, दोपहर गर्मी, शाम को बारिश और रात में आंधी।
- फसलें समय से पहले या बहुत देर से पकेंगी।
- Seasonal Diseases यानी मौसमी बीमारियों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी।
- लोग मौसम के अनुसार जीने की बजाय उससे लड़ने पर मजबूर होंगे।
🔚 निष्कर्ष (Conclusion): भविष्यवाणियाँ नहीं, चेतावनियाँ हैं ये!
Vishnu Puran की ये भविष्यवाणियाँ अब सिर्फ पौराणिक गाथा नहीं रहीं, ये एक आइना हैं—वर्तमान की भयावह सच्चाई का।
अगर हम आज नहीं चेते, तो धरती सचमुच कछुए की पीठ जैसी फटी-फटी हो जाएगी, पानी हमारी मुट्ठी से पूरी तरह फिसल जाएगा, और हम उस नरक में जी रहे होंगे, जिसकी कल्पना तक से डर लगता है।
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🛑 डिस्क्लेमर :
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथ विष्णु पुराण में वर्णित कथाओं और मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि वर्तमान जलवायु संकट को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास है। पाठकों से निवेदन है कि वे इसे धार्मिक संदर्भ और पर्यावरणीय चेतावनी दोनों रूप में समझें। लेख में दी गई कोई भी जानकारी वैज्ञानिक प्रमाण या मौसम विभाग की आधिकारिक चेतावनी का विकल्प नहीं है।